राजनाथ सिंह पोर्टल पेंसिल चाइल्ड लेबर योजना|चाइल्ड लेबर योजना|पोर्टल पेंसिल चाइल्ड लेबर योजना
बच्चे देश के अमूल्य निधि होते है। देश के बेहतर भविष्य के लिए हमें बच्चों का सही ढंग से पालन-पोषण करना चाहिए। 2001 की जनगणना की तुलना में 2011 में बाल श्रमिकों की संख्या में कमी आई है। परन्तु उनके बचपन को सुरक्षित रखने के लिए बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है। इस समस्या के बहुआयामी स्वरूप को देखते हुए सरकार ने बाल श्रम को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए एक विस्तृत योजना तैयार की है। सरकार ने बाल श्रम (निषेध और संशोधन) अधिनियम, 2016 पारित किया है, जिसे 1 सितम्बर, 2016 से लागू किया गया है। इस संशोधन के अनुसार किसी भी व्यवसाय या प्रक्रिया में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे को रोजगार प्रदान करना पूरी तरह निषिद्ध है। इस अधिनियम के प्रावधानों को सबसे पहले 1986 में लागू किया गया था और यह आशा की गई थी कि भविष्य में 14 वर्ष के कम आयु के बच्चों को रोजगार देने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जा सकेगा। पहली बार बच्चो की उम्र को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के प्रति बच्चों के अधिकार अधिनियम, 2009 से जोड़ा गया। पहली बार बच्चों के किशोर वय को पारिभाषित किया गया। 14-18 वर्ष के बच्चों को किशोर माना गया। संशोधन विधेयक द्वारा किशोर बच्चों को खतरनाक व्यवसायों में रोजगार देना निषेध किया गया।
चाइल्ड लेबर योजना
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राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना, 1988 में प्रारम्भ की गई थी। इसका उद्धेश्य था- बाल श्रम के सभी रूपों से बच्चों को बाहर करना, उनका पुनर्वास करना और उन्हे शिक्षा की मुख्य धारा में शामिल करना।बाल श्रम से जुड़े हुए बच्चों की पहचान करने, उन्हें संरक्षित करने और उनके पुनर्वास के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर संस्थागत तंत्र का गठन किया गया है, जो केंद्रीकृत आकड़े एकत्र करेगा तथा कार्यक्रमों की निगरानी करेगा। श्रम क्षेत्र समवर्ती सूची में है इसलिए कार्यक्रमों को लागू करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर है। ऑन लाइन पोर्टल केंद्र सरकार को राज्य सरकार, जिला और सभी परियोजना समितियों के साथ जोड़ देगा। इसी पृष्ठभूमि में ऑन लाइन पोर्टल ‘पेंसिल’ की परिकल्पना की गई है।
पेंसिल पोर्टल के घटक
- चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम
- शिकायत प्रकोष्ठ
- राज्य सरकार
- राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना
- परस्पर सहयोग
‘पेंसिल’, श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा विकसित एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म हैं, जिससे बाल श्रम को पूरी तरह समाप्त करने में मदद मिलेगी। । नोबेल पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी मुख्य अतिथि होंगे। केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री श्री संतोष कुमार गंगवार सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि बाल उन्मूलन में पेंसिल के माध्यम से इस बड़ी पहल के लिए श्रम रोजगार मंत्री सन्तोष गंगवार बधाई के पात्र हैं| उन्होंने कहा कि बच्चा देश का भविष्य होता है। सभ्य समाज के लिए बाल मजदूरी एक अभिशाप की तरह है। यह हमारा दुर्भाग्य है कि आजादी के 70 साल बाद भी हम बाल श्रम से देश को मुक्ति नहीं दिलवा पाए। हालांकि राजनाथ ने दावा किया कि अब हम संकल्प के माध्यम से इस बीमारी से देश को बाल श्रम से मुक्ति दिलवाएंगे। राजनाथ सिंह ने यह बात मंगलवार को श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा आयोजित बाल श्रम के राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान कही। राजनाथ ने इस दौरान श्रम विभाग द्वारा बाल श्रम रोकने के लिए बनाये पेन्सिल पोर्टल को भी जारी किया।
राजनाथ सिंह ने महात्मा गांधी के नारे का उल्लेख करते हुए कहा कि गांधी ने एक नारा दिया था ‘करो या मरो’ 1942 में और 5 वर्षों बाद 1947 में भारत आजाद हो गया । आज ठीक इसी प्रकार अगर 125 करोड़ भारतीय अगर संकल्प कर लें तो 2 से 3 साल में हम बाल श्रम से देश को मुक्त कर लेंगे। कोई भी बच्चा अगर अपने बचपन को सहज तरीके से जी नहीं जी पाता है तो यह बहुत गलत है। एक आंकड़े के अनुसार विश्व में 10 में से 1 बच्चा बाल मजदूर है। भारत सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए बाल श्रम से जुड़े कानून में भी संशोधन किए है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने इसके उन्मूलन के लिए बाकायदा संकल्प लिया है। राजनाथ ने पेंसिल पोर्टल के लिए सभी को बधाई दी। अब यह सुनिश्चित करना पड़ेगा कि इसका क्रियान्वयन व्यापक स्तर पर हो| इसके लिए सामाजिक जागरूकता भी लानी पड़ेगी।
राजनाथ ने ऑपरेशन मुस्कान का जिक्र करते हुए बताया कि 1 वर्ष में 70 से 75 हजार बच्चों को बचाया है। पेंसिल पोर्टल को ब्लॉक स्तर पर एक अभियान चलाकर जागरूकता लानी चाहिए। राजनाथ ने धरातल पर क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वो सभी इसमे सहयोग करे। राजनाथ सिंह ने नोबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी से अपनी भारत यात्रा में भी पेंसिल पोर्टल के प्रचार करने का निवेदन किया जिससे लोगों में इसके प्रति जागरूकता आये। बाल श्रम का खामियाजा भारत को आर्थिक स्तर पर भी भुगतना पड़ता है। जब विदेश में भारत से बना कोई प्रोडक्ट जाता है और उन्हें जब यह जानकारी मिलती है कि इसमें बाल श्रम का उपयोग हुआ है तो वो उसको हमेशा के लिए रिजेक्ट कर देते हैं।