कुम्हार सशक्तिकरण योजना|kumahar sashaktikaran yojana|kumahar sashaktikaran yojana upsc|kumbhar sashaktikaran program
प्यारे दोस्तों आज हम आर्टिकल के माध्यम से कुम्हार सशक्तिकरण योजना की जानकारी देने जा रहे हैं| हम आपको बताएंगे कि kumahar sashaktikaran yojana क्या है| आप किस प्रकार इस कुम्हार सशक्तिकरण योजना 2022 का लाभ उठा सकते हैं|केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने को कुम्हार समुदाय को मजबूत करने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग की कुम्हार शक्तिकरण योजना के तहत 100 प्रशिक्षित इलेक्ट्रिक कारीगरों को वितरित किया।श्री शाह ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अपने संसदीय क्षेत्र गांधीनगर के बलवा गाँव में कुम्हार चक्के बांटे।
गृहमंत्री ने इस योजना की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह पहल हाशिए पर पहुंच चुके कुम्हार समुदाय को मजबूत बनाने में मदद करेगी और मिट्टी के बर्तनों की पारंपरिक कला को पुनर्जीवित करने में सहायक होगी। श्री शाह ने कुम्हार समुदाय को आश्वासन दिया कि उन्हें अपने उत्पाद बेचने के लिए उचित विपणन व्यवस्था मुहैया कराई जाएगी। इस योजना का उद्देश्य देश के कुम्हार समुदाय को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना है।
कुम्हार सशक्तिकरण योजना की सराहना करते हुए, गृह मंत्री ने कहा कि मिट्टी के बर्तनों की पारंपरिक कला को पुनर्जीवित करते हुए सीमांत कुम्हारों के समुदाय को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ी पहल होगी|
कुम्हार सशक्तिकरण योजना
Contents
कुम्हार सशक्तीकरण योजना का मुख्य उद्देश्य कुम्हार समुदाय को मुख्यधारा में वापस लेकर आना है।इस योजना के अंतर्गत, KVIC द्वारा बर्तनों के उत्पाद का निर्माण करने के लिये उपयुक्त मिट्टी को मिलाने के लिये अनुमिश्रक मशीनों और पग मिल्स जैसे उपकरण उपलब्ध कराए जाते हैं। इन मशीनों ने मिट्टी के बर्तनों के निर्माण की प्रक्रिया में लगने वाले कठिन परिश्रम को भी समाप्त कर दिया है और इसके कारण कुम्हारों की आय 7 से 8 गुना ज्यादा बढ़ गई है।
kumahar sashaktikaran yojana Highlights
योजना का नाम | कुम्हार सशक्तिकरण योजना |
इनके द्वारा शुरू की गयी | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा |
लॉन्च की तारीक | 1 जून 2022 |
लाभार्थी | कुम्हारों |
उद्देश्य | रोजगार प्रदान करना |
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कुम्हार सशक्तिकरण योजना के लाभ
पोखरण में कुम्हारों के परिवारों को इलेक्ट्रिक पॉटर चाकों (Electric Potter Wheels) का वितरण किया गया है।
इलेक्ट्रिक चाकों के अलावा, KVIC ने 10 कुम्हारों के समूह में 8 अनुमिश्रक मशीनों (Blunger Machines) का भी वितरण किया है।
अनुमिश्रक मशीनों का इस्तेमाल मिट्टी को मिलाने के लिये किया जाता है।
यह मशीन केवल 8 घंटे में 800 किलो मिट्टी को कीचड़ में बदल सकती है जबकि व्यक्तिगत रूप से मिट्टी के बर्तन बनाने के लिये 800 किलो मिट्टी तैयार करने में लगभग 5 दिन का समय लगता है।
KVIC ने गाँव में 350 प्रत्यक्ष रोज़गार का भी सृजन किया है।
KVIC द्वारा किये जा रहे प्रयासों का उद्देश्य कुम्हारों को सशक्त बनाना, स्व-रोज़गार का सृजन करना और मृतप्राय हो रही मिट्टी के बर्तनों की कला को पुनर्जीवित करना है।
इसके अलावा इस गाँव के कुम्हारों को कुम्हार सशक्तीकरण योजना से भी जोड़ा गया है।
उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम से राजस्थान के कई ज़िलों जैसे जयपुर, कोटा, झालावाड़ और श्री गंगानगर सहित एक दर्जन से अधिक ज़िलों को लाभ प्राप्त हुआ है।
KVIC अध्यक्ष द्वारा राजस्थान में KVIC के राज्य निदेशक को बाड़मेर और जैसलमेर रेलवे स्टेशनों पर मिट्टी के बर्तनों के उत्पादों का विपणन करने और उसकी बिक्री के लिये सुविधा प्रदान करने का निर्देश भी जारी किया गया है, जिससे कुम्हारों को विपणन में सहायता प्रदान की जा सके।
400 रेलवे स्टेशनों पर केवल मिट्टी/टेराकोटा के बर्तनों में खाद्य पदार्थों की बिक्री होती है जिनमें से राजस्थान के दो जैसलमेर और बाड़मेर शामिल हैं, दोनों प्रमुख रेलमार्ग पोखरण के सबसे नज़दीक हैं।
KVIC की राज्य इकाई इन शहरों में पर्यटकों के उच्च स्तर को देखते हुए इन रेलवे स्टेशनों पर अपने मिट्टी के बर्तनों की बिक्री में सुविधा प्रदान करेगी।
Manojkumar Haroli
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