[pdf] Durga Chalisa Lyrics|दुर्गा चालीसा पाठ हिंदी में पीडीऍफ़

durga chalisa pdf|durga aarti|durga chalisa lyrics in hindi pdf|Shree Durga Chalisa:हम आपको Durga Chalisa पढने के क्या फायदे होते है, उसके बारे में भी आप सभी को विस्तार से बतायेंगे ! हमने यह Durga Chalisa PDF को हिंदी संस्करण में आप सभी के लिए उपलब्ध कराया है! जिससे आप सभी को दुर्गा चालीसा पाठ में करने में आसानी हो, और आप इससे अपनी इच्छाओ को पूर्ण कर सके और आपको इसका फायदा मिल सके!

माता दुर्गा आदि शक्ति मानी जाती है, माता दुर्गा के स्वरूप में नवदुर्गा का वास माना जाता है! इन्हें शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है! ये हर कार्य को सरल बनाने का कार्य करती है! इस कलयुग में मनुष्य तरक्की के लिए या फिर सुखमय जीवन के लिए, अपने परिवार को सुखी जीवन देने के निरंतर प्रयत्न करते ही रहता है!

 Durga Chalisa Lyrics|नमो नमो दुर्गे सुख करनी Lyrics

Contents

हिन्दू धर्म में दुर्गाजी को आदिशक्ति कहा जाता है। माता दुर्गा की उपासना से मनुष्य के सभी पाप धूल जाते हैं और उन्हें कार्यों में सफलता मिलता है। माता दुर्गा जी की साधना के लिए श्री दुर्गा चालीसा को बेहद प्रभावशाली माना जाता है।दुर्गा चालीसा पीडीऍफ़ – माँ दुर्गा के भक्तों का हमारे इस साईट आरती चालीसा पर हार्दिक अभिनंदन हैं. आज आप इस पेज पर माँ दुर्गा चालीसा पीडीऍफ़ के लिए आयें हैं.इस पोस्ट में माँ दुर्गा की आराधना और स्तुति के लिए श्री दुर्गा चालीसा को पीडीऍफ़ फ़ॉर्मेट में उपलब्द्ध कराया गया है.

Benefits of Durga Chalisa

  • दुर्गा चालीसा को पढने के आपके सभी कष्ट दूर हो जाते है और आपके शरीर में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे आपके अंदर दुश्मनों से लड़ने की अद्भुत क्षमता विकसित होती है!
  • इसका रोजाना पाठ करने से आपके ऊपर और आपके परिवार के ऊपर आने वाले सभी संकट जैसे- आकस्मक आपत्ति, वित्तीय संकट, राजनीती संकट आपके पास कभी भी नजदीक नही हाते है!
  • अगर आप दुर्गा चालीसा का पाठ करना शुरू करना चाहते है तो आप कभी से भी शुरू कर सकते है, लेकिन आप अगर इसका पाठ नवरात्री में शुरू के करते है तो यह आपके लिए काफी लाभदायक होगा !
  • अगर आप दुर्गा चालीसा का पाठ शुरू कर रहे है तो आपको 9 दिन इसका पाठ करने चाहिए, यह आपके लिए अतिउत्तम होता है! आपके नौ दिन पाठ करने से दुर्गा माता अतिप्रसन्न होती है !
  • दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आध्यात्मिक, भौतिक और भावनात्मक खुशी मिलती है।
  • रोजाना दुर्गा चालीसा का पाठ अपने मन को शांत करने के लिए भी किया जाता है।
  • आप अपने शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बनाए रखने के लिए दुर्गा चालीसा का पाठ रोजाना पढ़ सकते हैं।
  • दुश्मनों से निपटने और उन्हें हराने की क्षमता भी विकसित करने के लिए पाठ किया जाता है।
  • अपने परिवार को वित्तीय नुकसान, संकट और अलग-अलग प्रकार के दुखों से बचाने के लिए दुर्गा चालीसा का पाठ किया जाता है।
  • मानसिक शक्ति को विकसित करने के लिए भी दुर्गा चालीसा का पाठ कर सकते हैं।

durga chalisa lyrics in hindi pdf|नमो नमो दुर्गे सुख करनी दुर्गा चालीसा

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥

शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥ रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥

तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥ अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥ शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥ धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥ लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥ हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥

मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥ श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥ कर में खप्पर खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजै॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥ नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुंलोक में डंका बाजत॥

शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे॥ महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥ परी गाढ़ संतन पर जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥

अमरपुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥ ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥ ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी। योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥ शंकर आचारज तप कीनो। काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥ शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥ भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥ आशा तृष्णा निपट सतावें। रिपू मुरख मौही डरपावे॥

शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥ करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।

जब लगि जिऊं दया फल पाऊं। तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥ दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥

देवीदास शरण निज जानी। करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

दोहा॥ शरणागत रक्षा करे, भक्त रहे नि:शंक ।

मैं आया तेरी शरण में, मातु लिजिये अंक ॥ 

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