संविदा कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खबर निकलकर सामने आई है चुनाव के दौरान राजनीतिक दल कई बार कर्मचारियों के रेगुलर करने को लेकर और वेतन बढ़ाने को लेकर वादे करते हैं लेकिन अक्सर उसे पूरे नहीं करते हैं लेकिन इस बार भोपाल नगर निगम ने संविदा कर्मियों के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है जिसके तहत कर्मचारियों को नियमितीकरण और लगभग 8000 सफाई कर्मचारियों को अतिरिक्त सुविधाएं देने का फैसला लिया गया है।
Contract Employees Regularization Good News: मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश के तमाम संविदा कर्मचारी और आउटसोर्स कर्मचारीयों के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी सामने आ रही है। भोपाल के नगर निगम में एक बड़े बैठक का आयोजन हुआ था जिसमें तकरीबन 1000 से अधिक संविदा कर्मचारियों को नियमित करने और लगभग 8000 से अधिक सफाई कर्मचारियों को सुविधाएं देने का निर्णय लिया गया। जिसके लिए नगर निगम ने आदेश भी जारी कर दिया है। इस खबर के बाहर आते हैं तमाम संविदा कर्मचारियों और सफाई कर्मचारियों के बीच उत्साह और खुशी का माहौल बन गया। लोगों का कहना है कि रक्षाबंधन से पहले यह हमारे लिए बहुत बड़ी खुशखबरी की बात है
Contract Employees Regularization News
यहां पर मध्य प्रदेश के संविदा कर्मचारियों के लिए यह राहत की खबर है भोपाल नगर निगम ने अस्थाई कर्मचारी जो वर्षों से स्थाई नियुक्ति की मांग कर रहे थे उनकी मांगों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है उन्होंने कई बार प्रदर्शन और धारणा भी दिया था आखिरकार नगर निगम और सरकार ने उनकी मांग पर सकारात्मक फैसला लिया है जिसमें हाल ही के अंदर आयोजित परिषद बैठक में कई प्रस्ताव पारित किए गए इसमें ओल्ड अशोक गार्डन का नाम बदलकर रामबाग करना और हमीदिया कॉलेज एवं अस्पताल का नाम दिवंगत विधायक रमेश शर्मा गुड्डू भैया के नाम रखना शामिल रहा इसी बैठक में संविदा कर्मचारी को नियमित करने का प्रस्तावित सर्वसम्मति से मंजूर हुआ है इस फैसले से 1000 कर्मचारियों को स्थाई लाभ मिलेगा।
इसके अलावा 8000 से अधिक सफाई कर्मचारियों को भी अतिरिक्त सुविधाएं देने की प्रस्ताव को पास किया गया है। यह फैसला इस बैठक में लिया गया, इस फैसले को इसलिए दिया गया था की सफाई कर्मचारी के काम की स्थिति और जीवन स्तर को सुधारा जा सके। आपको बता दे की नगर निगम के कार्यकर्ता संविदा कर्मचारी वर्षों से स्थाई नियुक्ति की मांग कर रहे थे। नियमितीकरण को लेकर तमाम संविदा कर्मचारियों ने कई बार धरने और प्रदर्शन का भी सहार लिया लेकिन बार बार इनको निराश होना पड़ रहा था। लेकिन काफी लंबे समय के बाद इनकी मांगों को सरकार और नगर निगम ने गंभीरता से लिया और 1000 संविदा कर्मचारियों को नियमित कारण करने का फैसला दिया।
आउटसोर्स कर्मचारी का न्यूनतम वेतन 21000 की मांग
प्रदेश के अंदर करीब 30000 से अधिक आउटसोर्स कर्मचारी अलग-अलग सरकारी अस्पतालों में काम कर रहे हैं यह कर्मचारी निजी एजेंसियों के मनमानी और शोषणकारी नीति के खिलाफ लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं उन सभी का कहना है कि उनका काम से कम वेतन 21000 तय किया और एक स्थाई नीति लागू हो फिलहाल आउट सोर्स कर्मचारी को एजेंसी के माध्यम से केवल 60 से 70% वेतन मिल रहा है।
कर्मचारियों ने सरकार को 10 सूत्री मांग पत्र भी सोपे है जिसमें मंदे वर्दी और वेतन नियमों में बदलाव नियति कारण और अवकाश की सुविधा इसके अलावा निष्कासित कर्मचारियों की बहाली, 3 साल से सेवा दे रहे कर्मचारियों को वेतन वृद्धि आदि शामिल है कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगे पूरी नहीं हुई तो प्रदेश व्यापी आंदोलन किया जाएगा और आमरण अनशन किया जाएगा।
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रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश राज्य भर के लगभग 30,000 आउटसोर्स कर्मचारी खासकर कि वह आउटसोर्स कर्मचारी जो कि अस्पतालों में काम कर रहे हैं। यह सारे कर्मचारी निजी एजेंसियों की मनमानी और कम वेतन के मामले से परेशान है। आउटसोर्स कर्मचारी का कहना है की एजेंसियां उनके साथ बहुत शोषण करती है, उन्हें केवल 60 % से 70 परसेंट वेतन ही मिलता है वेतन का बाकी हिस्सा एजेंसी काट देती है। इनकी भी मांगे हैं और वह कुछ इस प्रकार है: इनका कहना है कि न्यूनतम वेतन 21,000 रुपए प्रति महीना किया जाए। आउटसोर्स कर्मचारी की मांग है कि उनके लिए अस्थाई सेवा नीति लागू हो।
मानदेय बढ़ाया जाए और वेतन भुगतान पारदर्शी से हो एजेंसियों की मनमानी बीच में नहीं होनी चाहिए। 3 साल से अधिक सेवा करने वालों को वेतन की वृद्धि मिले। इसके अलावा भी कई सारे मांगे हैं जो इन्होंने सरकार से की है। आउटसोर्स कर्मचारियों का कहना है की हमारी मांगों पर अदा नहीं सरकार का फैसला चाहिए।
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